अद्वैत या अद्वैतवाद का सिद्धांत आदि शंकराचार्य ने प्रतिपादित किया था। यह सिद्धांत कहता है कि आत्मा और ब्रह्म, जो परमात्मा है, में कोई भेद नहीं है। शंकराचार्य का मानना था कि आत्मा ब्रह्म में विलीन हो जाती है और आत्मबोध से मोक्ष प्राप्त होता है।
आदि शंकराचार्य का जन्म आठवीं शताब्दी में केरल में हुआ था। वे एक प्रमुख हिंदू दार्शनिक थे जिन्होंने नौवीं शताब्दी में हिंदू पुनर्जागरण आंदोलन की शुरुआत की। हालांकि, उनके सिद्धांत आम जनता के लिए समझना कठिन थे।
अद्वैत हिंदू धर्म के वेदांत संप्रदाय का एक प्रमुख मत है। सभी वेदांत संप्रदाय यह मानते हैं कि ब्रह्म ही समस्त अस्तित्व का कारण और आधार है।
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