अकबर की राजस्व प्रणाली की नींव अलाउद्दीन खिलजी के समय पड़ी थी। अकबर ने इसे अपनाया था। 1566 तक, जो अकबर के शासन का 10वां वर्ष था, उन्होंने विरासत में मिली फसल दर (राय) नीति में कोई बदलाव नहीं किया। बाद में उन्होंने वार्षिक आकलन प्रणाली अपनाई।
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