अकबर, जो मुगलों के प्रसिद्ध सम्राटों में से एक थे, ने 1563 में तीर्थ कर समाप्त किया। यह उनके सुलह-ए-कुल नीति का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य अपने साम्राज्य में विभिन्न धर्मों के बीच शांति स्थापित करना था। यह उनके व्यापक प्रशासनिक सुधारों का भी हिस्सा था, जो न्याय और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए किए गए थे। इस धार्मिक कर को समाप्त करना उनके धार्मिक सद्भाव के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
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