हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1829 में पारित हुआ। इसने विधवाओं को शोषण और अपमान से बचाया, जिससे वे मृत्यु का शिकार होती थीं। हिंदू विधवाओं की दयनीय स्थिति दूर करने के लिए उस समय के प्रमुख समाज सुधारक पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने ब्रिटिश सरकार पर विधवा विवाह को कानूनी मान्यता देने का दबाव डाला।
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