अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में लागू हुआ था। इसका उद्देश्य एससी और एसटी समुदायों पर होने वाले अत्याचारों को रोकना है। यह कानून खास तौर पर उन अपराधों को संबोधित करता है जो गैर-एससी/एसटी व्यक्तियों द्वारा इन समुदायों के खिलाफ किए जाते हैं। यह अधिनियम आर्थिक आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देता है क्योंकि आर्थिक कारण भी सामाजिक अन्याय में भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, इसमें त्वरित न्याय के लिए विशेष अदालतों की स्थापना का प्रावधान है जो भारत की सामाजिक न्याय और समानता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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