20 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की, जो 16 अक्टूबर 1905 से लागू हुआ। इसके बाद स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ, जो 1911 तक चला। यह आंदोलन आधिकारिक रूप से 7 अगस्त 1905 को कोलकाता टाउन हॉल में शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और भारत में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करना था। इसके परिणामस्वरूप लोगों ने ब्रिटिश वस्तुओं को जलाना शुरू कर दिया।
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