1956 से 1961 की दूसरी पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों की स्थापना को प्राथमिकता दी गई थी। औद्योगिक विकास का मुख्य जोर लोहा और इस्पात, भारी इंजीनियरिंग और उर्वरक उद्योगों पर था। भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला में तीन नए इस्पात संयंत्र स्थापित किए गए थे।
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