बिशनदास 17वीं शताब्दी के एक चित्रकार थे, जो मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में कार्यरत थे। जहांगीर ने उनकी चित्रकला की अत्यधिक प्रशंसा की और उन्हें "चित्रांकन कला में अद्वितीय" कहा। बिशनदास के जीवन के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनके नाम से यह संकेत मिलता है कि वे हिंदू थे। 1613 में उन्हें कूटनीतिक मिशन पर फारस भेजा गया, जहां उन्होंने शाह का चित्र बनाया। उनकी कला इतनी प्रभावशाली थी कि वे 1620 तक वहीं रहे और फिर एक हाथी के उपहार के साथ लौटे।
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