'इक्ता' नामक भूमि अनुदान का धारक
दिल्ली सल्तनत काल में सैन्य कमांडरों को विभिन्न क्षेत्रों का गवर्नर नियुक्त किया जाता था। इस भूमि को 'इक्ता' कहा जाता था और इसके धारक को 'इकतादार' या 'मुक्ती' कहा जाता था। मुक्ति का कार्य सैन्य अभियानों का नेतृत्व करना और अपने इक्ता में कानून व्यवस्था बनाए रखना था।
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