बंगाल पटचित्र को कुछ अलग-अलग वर्गों में बाँटा गया है, जैसे दुर्गा पट, चालचित्र, आदिवासी पटचित्र, मेदिनीपुर पटचित्र और कालीघाट पटचित्र। इसके विषय मुख्य रूप से पौराणिक, धार्मिक कथाएँ, लोककथाएँ और सामाजिक विषयों से जुड़े होते हैं। बंगाल पटचित्र की अंतिम परंपरा कालीघाट पटचित्र को जामिनी रॉय ने विकसित किया था। बंगाल पटचित्र के कलाकार को पटुआ कहा जाता है।
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