साया सान विद्रोह 1930 के दशक में बर्मा (अब म्यांमार) में हुआ था। इसका नेतृत्व साया सान ने किया था, जो एक पारंपरिक चिकित्सक और ज्योतिषी थे। उन्होंने खुद को प्राचीन बर्मी राजा अनव्रथा का पुनर्जन्म बताया था। उनके अनुयायी, जो मुख्य रूप से करेन समुदाय से थे, दिसंबर 1930 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ विद्रोह में शामिल हुए। यह विद्रोह ब्रिटिश शासन के प्रति असंतोष, पारंपरिक करेन संस्कृति के क्षरण और औपनिवेशिक सरकार द्वारा जबरन श्रम प्रथाओं के विरोध जैसी कई शिकायतों के कारण भड़का था।
यह विद्रोह सफल नहीं हो सका और कुछ महीनों में ही ब्रिटिश सेना ने इसे दबा दिया। साया सान को पकड़कर मौत की सजा दी गई और कई अनुयायियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इस विद्रोह का करेन राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा और करेन स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन बढ़ाने में मदद मिली।
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