पहले एंग्लो-सिख युद्ध (1845-46) के बाद ब्रिटिश और महाराजा दलीप सिंह के बीच लाहौर संधि हुई। इससे सिखों को जम्मू, कश्मीर, हजारा और जालंधर दोआब के कुछ हिस्सों सहित बड़े क्षेत्रीय नुकसान उठाने पड़े। इसमें आर्थिक हर्जाना भी शामिल था और ब्रिटिश प्रभाव सिख शासन के आंतरिक मामलों में बढ़ गया। इस संधि से ब्रिटिशों को लाहौर में अपना रेजिडेंट नियुक्त करने का अधिकार भी मिला।
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