1817 में ओडिशा में हुए पाइक विद्रोह का नेतृत्व पाइक समुदाय ने किया था, जो पारंपरिक योद्धा और ज़मींदार थे। 16वीं शताब्दी से उन्हें स्थानीय राजाओं की सैन्य सेवा के बदले निश्कर जागीरें यानी कर-मुक्त ज़मीनें दी गई थीं। यह विद्रोह ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ था, जो उनकी ज़मीन और पारंपरिक अधिकारों को ख़तरे में डाल रही थीं।
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