यह हलेबिडु में सबसे बड़ा स्मारक है। मंदिर एक बड़े मानव निर्मित झील के किनारे बनाया गया था और इसका निर्माण होयसला साम्राज्य के राजा विष्णुवर्धन द्वारा प्रायोजित था। इसका निर्माण लगभग 1121 ईस्वी में शुरू हुआ और 1160 ईस्वी में पूरा हुआ।
होयसला मंदिरों में खुले (बाहरी मण्डप) और बंद मण्डप (भीतरी मण्डप) दोनों की विशेषताएं हैं। मण्डप की छतें अत्यधिक अलंकृत होती हैं जिनमें पौराणिक आकृतियाँ और पुष्प डिज़ाइन होते हैं।
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