स्तूप का प्रारंभिक रूप अर्धवृत्ताकार होता है। इसमें एक मंच (मेढ़ी) के ऊपर उलटे कटोरे के आकार की संरचना बनाई जाती है, जिसे 'अंड' कहते हैं। स्तूप का ऊपरी भाग अंत में समतल होता है, जिस पर एक धातु पात्र रखा जाता है। इसे 'हर्मिका' कहते हैं।
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