श्री नारायण गुरु ने 1903 में श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP) की स्थापना की। उन्होंने "एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर सभी के लिए" का नारा दिया और 1923 में अखिल-क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सावित्री फुले ने 1852 में महिलाओं के अधिकारों के लिए महिला सेवा मंडल की स्थापना की, विधवाओं और यौन हिंसा पीड़ितों के लिए बालहत्या प्रतिबंधक गृह बनाया, 1854 में 'काव्य फुले' प्रकाशित की और 1873 में सत्यशोधक समाज की सह-स्थापना की, जो अंतरजातीय विवाह और शूद्रों व अतिशूद्रों के उत्थान का समर्थन करता था। फातिमा शेख, भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका, ने 1848 में ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर एक कन्या विद्यालय और देशी पुस्तकालय की स्थापना की। बाबा आमटे ने कुष्ठ रोगियों के लिए अपना जीवन समर्पित किया, 1949 में आनंदवन की स्थापना की और पद्मश्री व पद्मविभूषण सहित कई पुरस्कार प्राप्त किए।
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