यह नृत्य असम का एक शास्त्रीय नृत्य रूप है। वर्ष 2000 में इसे भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ। इसके प्रवर्तक महान संत श्रीमंत शंकरदेव हैं। सत्रिया नृत्य की उत्पत्ति आमतौर पर पौराणिक कथाओं से जुड़ी है। यह पौराणिक शिक्षाओं को लोगों तक सरल, प्रभावी और मनोरंजक तरीके से पहुंचाने का एक कलात्मक माध्यम था।
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