संग्राम सिंह (राणा सांगा) ने इब्राहीम लोदी पर बाबर की जीत के बाद उसे हराने का प्रयास किया था। यह प्रयास पानीपत की पहली लड़ाई (1526) के बाद हुआ। इसके बाद खानवा की लड़ाई (1527) हुई, जिसमें राणा सांगा हार गए। उन्होंने राजपूत कबीले को एकजुट किया और अफगान सरदारों का समर्थन प्राप्त किया। बाबर की तोपखाने के इस्तेमाल ने उसकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे मुगल साम्राज्य के खिलाफ राजपूत प्रतिरोध का अंत हो गया।
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