शिवाजी के प्रशासन में अष्टप्रधान नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद थी, जिनका चयन योग्यता के आधार पर किया जाता था। इनमें पेशवा, अमात्य और सेनापति शामिल थे। उन्होंने "स्वराज्य" को बढ़ावा दिया और ग्राम पंचायतों के माध्यम से स्थानीय शासन को सशक्त किया। उनके प्रशासन में दक्षता, सैन्य सुधार और मराठी व संस्कृत के उपयोग पर विशेष जोर दिया गया।
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