यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट होते हैं कि देश की वित्तीय स्थिरता या साख खतरे में है, तो वे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल घोषित कर सकते हैं। इस आपातकाल को संसद से दो महीने के भीतर अनुमोदन प्राप्त होना जरूरी है। अब तक इसे कभी लागू नहीं किया गया। ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई थी, लेकिन भारत के स्वर्ण भंडार को विदेशी ऋण के लिए गिरवी रखकर इसे टाला गया। वित्तीय आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रपति सभी सरकारी अधिकारियों, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में कटौती कर सकते हैं। राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित सभी धन विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं। वे राज्यों को वित्तीय मामलों से जुड़ी कुछ नीतियों (मितव्ययिता उपाय) का पालन करने का निर्देश दे सकते हैं।
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