राजकीय कार्यों के लिए हिंदी के साथ अंग्रेज़ी का उपयोग जारी रहेगा
ब्रिटिश शासन के दौरान आधिकारिक कार्यों के लिए केवल अंग्रेज़ी का उपयोग किया जाता था। स्वतंत्र भारत में संविधान के अनुच्छेद 343(1) के तहत हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया। यह भी कहा गया कि संविधान लागू होने के 15 वर्षों के भीतर हिंदी अंग्रेज़ी का स्थान ले लेगी। हालांकि, संसद को यह तय करने का अधिकार दिया गया कि अंग्रेज़ी का उपयोग जारी रखा जाए या नहीं।
देशभर में गैर-हिंदी भाषी समुदायों ने अंग्रेज़ी से हिंदी में परिवर्तन का विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप 1963 में राजभाषा अधिनियम लागू किया गया। इस अधिनियम के अनुसार देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया, लेकिन 1965 के बाद भी आधिकारिक कार्यों के लिए अंग्रेज़ी का उपयोग किया जा सकता है। अंग्रेज़ी को भारत की 'सहायक राजभाषा' का दर्जा दिया गया। यह भी तय किया गया कि संसद की कार्यवाही हिंदी या अंग्रेज़ी दोनों में की जा सकती है।
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