मीनारों का उपयोग नहीं किया गया
मालवा की स्थापत्य शैली 15वीं और 16वीं शताब्दी में मालवा क्षेत्र में विकसित हुई। इस शैली के प्रमुख उदाहरण धार, मांडू और चंदेरी शहरों में मिलते हैं। इसमें भाले की नोक जैसी किनारी वाले नुकीले मेहराब, स्तंभों, लिंटल और बीम के साथ मेहराबों का संयोजन देखने को मिलता है। इमारतें ऊंचे चबूतरों पर बनाई जाती थीं, जिन तक लंबी और भव्य सीढ़ियों से पहुंचा जा सकता था। इस शैली की मुख्य विशेषता यह थी कि इसमें मीनारों का उपयोग नहीं किया जाता था।
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