महर्षि कपिल सांख्य दर्शन के रचयिता हैं। इसमें सत्कार्यवाद के आधार पर प्रकृति को सृष्टि का उपादान कारण माना गया है। इसका मुख्य सिद्धांत है कि सत्य की उत्पत्ति असत्य या शून्यता से नहीं हो सकती। अच्छे कार्यों का जन्म केवल अच्छे कारणों से ही संभव है। सांख्य दर्शन विशेष रूप से प्रकृति से सृष्टि और प्रलय की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है।
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