मराठा साम्राज्य के सैन्य प्रशासन में घुड़सवार सेना मुख्य रूप से बर्गी और सिलाहदार में विभाजित थी। बर्गी हल्की घुड़सवार सेना थी, जबकि सिलाहदार सशस्त्र घुड़सवार सैनिक होते थे। मराठा सेना अपनी छापामार युद्धनीति और तेज घुड़सवार हमलों के लिए प्रसिद्ध थी, जिसने बड़े और शक्तिशाली विरोधियों के खिलाफ जीत में अहम भूमिका निभाई। इस विभाजन से युद्ध रणनीतियों को प्रभावी रूप से लागू किया जा सकता था, जहां बर्गी और सिलाहदार की अलग-अलग भूमिकाएं थीं।
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