भुवन रिभु वर्ल्ड जुरिस्ट एसोसिएशन से 'मेडल ऑफ ऑनर' पाने वाले पहले भारतीय वकील बने हैं। यह सम्मान उन्हें बाल श्रम, तस्करी, बाल विवाह और यौन शोषण के खिलाफ उनके आजीवन कानूनी प्रयासों के लिए दिया गया है। वह 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन' (JRC) के संस्थापक हैं, जो भारत, नेपाल, केन्या और अमेरिका में 250 से ज्यादा साझेदार संगठनों वाला वैश्विक कानूनी नेटवर्क है। उन्होंने भारत में बाल अधिकारों से जुड़े 60 से अधिक जनहित याचिकाओं का नेतृत्व किया है। उनके प्रयासों से सुप्रीम कोर्ट ने तस्करी की परिभाषा को संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल के अनुसार अपनाया और इसे भारतीय कानून में आपराधिक अपराध घोषित किया गया। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि लापता बच्चों के मामलों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य हो। साथ ही, उन्होंने खतरनाक कामों में बाल श्रम पर रोक लगाने में भी अहम भूमिका निभाई।
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