मंगल पांडे एक भारतीय सैनिक थे, जिन्होंने 1857 के विद्रोह से पहले की घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री (BNI) रेजिमेंट में सिपाही थे। जब एनफील्ड राइफल के नए कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी के इस्तेमाल की अफवाह फैली, तो उन्होंने इन्हें काटने से इनकार कर दिया। इससे नाराज होकर उन्होंने अपने साथियों को ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाया और उन पर हमला किया। जब उन्होंने खुद को गोली मारने की कोशिश की, तो उन्हें रोक लिया गया, गिरफ्तार किया गया और कोर्ट-मार्शल किया गया। उनसे पूछा गया कि क्या वे किसी नशे के प्रभाव में थे, तो उन्होंने जवाब दिया कि उन्होंने अपने निर्णय से विद्रोह किया और कोई उन्हें उकसाने में शामिल नहीं था। उन्हें मृत्युदंड दिया गया। उनकी फांसी 18 अप्रैल 1857 को होनी थी, लेकिन ब्रिटिश अधिकारियों ने बड़े विद्रोह के डर से 8 अप्रैल 1857 को ही उन्हें फांसी दे दी।
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