संसद में शून्यकाल दोपहर 12 बजे शुरू होता है, जिसमें सदस्य महत्वपूर्ण मुद्दे उठाते हैं, खासकर वे जिन्हें टाला नहीं जा सकता। यह संसदीय प्रक्रियाओं में भारत की अपनी अनूठी पहल है और 1962 से अस्तित्व में है। हालांकि, यह प्रक्रिया नियमों में उल्लेखित नहीं है। शून्यकाल के दौरान बिना पूर्व अनुमति के सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर सवाल पूछे जाते हैं, जो आमतौर पर किसी विशेष मंत्री से जुड़े होते हैं। शून्यकाल, प्रश्नकाल के बाद आता है।
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