मई 2025 में इंदौर भारत का पहला भिखारी-मुक्त शहर बन गया है, जो सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। यह अभियान फरवरी 2024 में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 10 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था। अभियान शुरू होने से पहले शहर की सड़कों पर करीब 5,000 भिखारी, जिनमें 500 बच्चे शामिल थे, पहचाने गए। इन भिखारियों को रोजगार देकर पुनर्वासित किया गया और बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूलों में दाखिला दिलाया गया। पहले चरण में जागरूकता अभियान चलाया गया, उसके बाद पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू हुई। अब भिखारियों को पैसे देना या उनसे कुछ खरीदना प्रतिबंधित है और इस संबंध में 3 एफआईआर दर्ज की गई हैं। भिक्षावृत्ति की सूचना देने पर नागरिकों को ₹1,000 का इनाम दिया जाता है, जिससे जनभागीदारी को बढ़ावा मिला है। इस पहल को केंद्रीय मंत्रालय और विश्व बैंक की टीम ने राष्ट्रीय मॉडल के रूप में मान्यता दी है।
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