इसने सरकार को बिना मुकदमे के लोगों को कैद करने का अधिकार दिया।
लॉर्ड चेम्सफोर्ड के वायसराय काल में 1918 में सरकार ने जस्टिस रॉलेट की अध्यक्षता में एक राजद्रोह समिति गठित की, जिसने भारत में देशद्रोही गतिविधियों को रोकने के लिए कुछ सिफारिशें कीं। 1919 में पारित रॉलेट एक्ट ने सरकार को यह असीमित अधिकार दिया कि वह संदेह के आधार पर लोगों को बिना मुकदमे के गिरफ्तार कर कैद कर सकती है। इस कानून ने सभी वर्गों में आक्रोश की लहर पैदा कर दी। कानून पारित होने से पहले ही इसके खिलाफ जन आंदोलन शुरू हो गया था। गांधीजी ने इस कानून के खिलाफ संघर्ष करने का फैसला किया और 6 अप्रैल 1919 को सत्याग्रह का आह्वान किया। 8 अप्रैल 1919 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे दिल्ली, अहमदाबाद और पंजाब में आंदोलन और तेज हो गया।
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