संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने मौलिक अधिकारों में संवैधानिक उपचारों के अधिकार को भारतीय संविधान की आत्मा और हृदय कहा था। इस अधिकार के तहत कोई भी व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। संविधान में यह अधिकार अनुच्छेद 32 में निहित है।
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