गुप्त काल के बाद संस्कृत में नाट्यशास्त्र के बाद का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ बृहद्देशी मुनि मतंग द्वारा रचा गया था। यह पहला ग्रंथ था जिसने राग की चर्चा की और संगीत को मार्ग संगीत (शास्त्रीय संगीत) और देशी संगीत (लोक संगीत) में विभाजित किया। इस्लाम के आगमन से पहले यह भारतीय संगीत पर लिखा गया एक महत्वपूर्ण ग्रंथ था। बृहद्देशी नाट्यशास्त्र पर आधारित था और इसमें भरत मुनि के ग्रंथ में अस्पष्ट बातों को स्पष्ट किया गया।
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