फरवरी 1938 में हरिपुरा में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 51वें अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्र भारत के आर्थिक नियोजन और औद्योगीकरण पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भविष्य की राष्ट्रीय सरकार को सबसे पहले पुनर्निर्माण की एक व्यापक योजना तैयार करने के लिए एक आयोग स्थापित करना होगा। बोस चाहते थे कि राष्ट्रीय योजना आयोग की सलाह पर राज्य उत्पादन और वितरण दोनों क्षेत्रों में कृषि और औद्योगिक प्रणाली का क्रमिक समाजीकरण सुनिश्चित करे। उन्होंने जमींदारी प्रथा के उन्मूलन और कृषि ऋण मुक्ति पर भी जोर दिया। सुभाष चंद्र बोस ने आधुनिक आधार पर भारत के तीव्र औद्योगीकरण के लिए जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक योजना समिति का गठन किया, क्योंकि नेहरू महात्मा गांधी के करीबी थे, जो औद्योगीकरण कार्यक्रम के पक्ष में नहीं थे।
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