ब्रहम समाज की स्थापना 1830 में कोलकाता में देवेंद्रनाथ टैगोर और राम मोहन राय ने की थी। इसका उद्देश्य उस समय प्रचलित ब्राह्मणवाद, विशेष रूप से कुलीन प्रथाओं में सुधार लाना था। इसने 19वीं शताब्दी के बंगाल पुनर्जागरण की शुरुआत की और हिंदू समाज में धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया। व्यवहार में ब्रह्म समाज बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के लोगों का एक ऐसा समूह है जो सार्वजनिक रूप से एकत्र होकर अनुशासित और भक्तिपूर्ण तरीके से उस अज्ञेय, अनंत और अचल सत्ता की आराधना करता है जो ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता और संरक्षक है।
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