नवाब अब्दुल लतीफ खान (1828-1893) उन्नीसवीं सदी के मध्य में बंगाल के प्रमुख व्यक्तित्व थे। वे मुस्लिम आधुनिकता के अग्रदूत और मुस्लिम पुनर्जागरण के सूत्रधार थे। उन्होंने उपनिवेशी शासन के तहत हताश, अपमानित, हतोत्साहित और बिखरे हुए अपने समाज को जागरूक करने में अहम भूमिका निभाई। उनका सबसे बड़ा योगदान शिक्षा के क्षेत्र में था। वे पहले व्यक्तियों में से थे जिन्होंने समझा कि युवा बंगाली मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। उन्होंने महसूस किया कि आधुनिक शिक्षा के प्रति पूर्वाग्रह के कारण बंगाल के मुसलमान हर क्षेत्र में पिछड़ गए हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन इस आत्मघाती पूर्वाग्रह को दूर करने में समर्पित कर दिया।
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