सुल्तान फिरोज शाह तुगलक के प्रशासनिक सुधारों के तहत 'दीवान-ए-खैरात' नामक नया विभाग स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य गरीब लड़कियों के विवाह की व्यवस्था करना और जरूरतमंद लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करना था।
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