सभी धर्मों से जुड़े विषयों पर चर्चा
अबुल फजल ने अकबर को धार्मिक और दार्शनिक चर्चाओं के लिए प्रेरित किया। अकबर को इन चर्चाओं में गहरी रुचि थी। ये चर्चाएँ इबादतखाने या उपासना कक्ष में आयोजित की जाती थीं। वर्तमान में इसे दीवान-ए-खास के रूप में पहचाना जाता है, जिसे 1574 में फतेहपुर सीकरी में स्थापित किया गया था। शुरुआत में इसे केवल सुन्नी मुसलमानों के लिए खोला गया था, लेकिन बाद में सूफी, शिया, ईसाई, पारसी, हिंदू और जैन सहित सभी धर्मों के लोगों के लिए खोल दिया गया।
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