हिमाचल प्रदेश में ब्यास नदी पर बना पोंग डैम 1961 में राजस्थान में सिंचाई के लिए शुरू किया गया था। इससे 20000 से अधिक परिवार विस्थापित हुए थे, जिनमें से 6736 पुनर्वास के मामले अभी भी लंबित हैं। राज्य सरकार इन मामलों को तेजी से निपटाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है ताकि प्रभावितों को भूमि उपलब्ध कराई जा सके। इसके निर्माण से कृत्रिम झील महाराणा प्रताप सागर बनी, जिसे 1983 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था। यह झील 2002 में रामसर वेटलैंड बन गई, जिसमें बार-हेडेड गीज़, नॉर्दर्न लैपविंग और यूरेशियन कूट जैसे विविध पक्षी रहते हैं।
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