प्रतिहार, चौहान, चालुक्य, परमार
अग्निकुंड की कहानी सबसे पहले पद्मगुप्त के नवा-सहसांक-चरित में दी गई थी। इस सिद्धांत के कई संस्करण हैं और उनमें से एक चंदबरदाई की पुस्तक 'पृथ्वीराज रासो' में है। इस सिद्धांत के अनुसार राजपूतों के पूर्वज आबू पर्वत पर जलाई गई पवित्र अग्नि से उत्पन्न हुए थे। चार नायकों द्वारा स्थापित चार वंश प्रतिहार, चौहान, चालुक्य, परमार थे।
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