पूर्वी भारत की पहली खगोलीय वेधशाला गढ़पंचकोट पहाड़ियों, पुरुलिया में सत्येंद्र नाथ बोस राष्ट्रीय मूल विज्ञान केंद्र (SNBNCBS) द्वारा शुरू की गई है। यह भारत की छठी ऐसी वेधशाला है और इसका नाम सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर रखा गया है। यह वेधशाला समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई पर लगभग 86° पूर्व देशांतर पर स्थित है और खगोलीय अवलोकनों में एक महत्वपूर्ण अंतर को भरती है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक अवलोकनों, छात्र प्रशिक्षण को सहायता देना और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना है। वेधशाला को अस्थायी खगोलीय घटनाओं को देखने के लिए रणनीतिक रूप से रखा गया है। सत्येंद्र नाथ बोस केंद्र ने इसके संचालन के लिए सिद्धू कानू बिरसा विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की है।
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