जब विधानपालिका और कार्यपालिका अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन नहीं करतीं, तो संविधान में जनता का विश्वास कम होने लगता है। ऐसे में न्यायपालिका नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आगे आती है। इसके अलावा, कुछ ऐसे क्षेत्र भी होते हैं जहां कोई कानून नहीं बनाया गया होता, जिससे विधायी शून्यता उत्पन्न होती है। इस शून्यता को न्यायपालिका न्यायिक सक्रियता के माध्यम से भरती है।
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