Q. नीचे दिए गए कथनों के आधार पर उस व्यक्तित्व की पहचान करें:
  1. उनकी कृति "तुफ़हत-उल-मुवाह्हिदीन" में हिंदुओं की अवैज्ञानिक धार्मिक मान्यताओं और भ्रष्ट प्रथाओं की आलोचना की गई थी।
  2. वे भारत से ब्रिटिशों द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण का अनुमान लगाने वाले शुरुआती व्यक्तियों में से एक थे।
  3. उन्होंने वेदांत के एकेश्वरवादी सिद्धांतों के प्रचार के लिए "सोसाइटी ऑफ फ्
    Answer: राजा राम मोहन राय
    Notes:
    • राजा राम मोहन राय ने 1803 में अपनी पहली कृति "तुफ़हत-उल-मुवाह्हिदीन" प्रकाशित की, जिसमें हिंदुओं की अवैज्ञानिक धार्मिक मान्यताओं और भ्रष्ट प्रथाओं की आलोचना की गई थी।
    • 1814 में उन्होंने कोलकाता में "आत्मीय सभा" (सोसाइटी ऑफ फ्रेंड्स) नामक एक दार्शनिक चर्चा समूह की स्थापना की, जिसका उद्देश्य वेदांत के एकेश्वरवादी सिद्धांतों का प्रचार करना और मूर्तिपूजा, जातिगत कठोरता, निरर्थक अनुष्ठानों व अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाना था।
    • वे भारत से ब्रिटिशों द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण का अनुमान लगाने वाले शुरुआती व्यक्तियों में से एक थे।
    • उन्होंने 1828 में "ब्रह्म सभा" की स्थापना की, जिसे बाद में "ब्रह्म समाज" नाम दिया गया।

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