एक तिहाई मुस्लिम प्रतिनिधि मुस्लिम लीग से होंगे।
उपरोक्त योजनाएँ 1, 2 और 3 वेवल योजना का हिस्सा थीं, जिसे 1945 में लॉर्ड वेवल ने प्रस्तुत किया था। वेवल योजना के प्रावधानों पर चर्चा के लिए ब्रिटिश सरकार की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला में 21 भारतीय राजनीतिक नेताओं का सम्मेलन बुलाया गया। इसमें मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भी शामिल थे, जो उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। मोहम्मद अली जिन्ना भी इस सम्मेलन में पहुंचे। लेकिन यहां जिन्ना ने अजीब दावा किया कि कार्यकारी परिषद में कोई भी गैर-लीगी मुस्लिम नहीं होना चाहिए क्योंकि केवल मुस्लिम लीग को भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है। वे चाहते थे कि सभी मुस्लिम प्रतिनिधि केवल मुस्लिम लीग से हों। इसलिए कहा गया कि कांग्रेस को कार्यकारी परिषद में किसी मुस्लिम को नामित करने का अधिकार नहीं है। यही वेवल योजना की विफलता का मुख्य कारण था।
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