अथर्ववेद, जो चौथा वेद है, जादू-टोने और मंत्रों का संग्रह माना जाता है। यह अन्य तीन वेदों (ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद) से अलग है जो मुख्य रूप से पूजा, अनुष्ठान और दार्शनिक विचारों पर केंद्रित हैं। अथर्ववेद में भजनों, मंत्रों और जादुई टोनों का मिश्रण है। इसमें उपचार, सुरक्षा, श्राप और आशीर्वाद के लिए मंत्र शामिल हैं। इसमें चिकित्सा, रसायन और काले जादू जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा भी शामिल है।
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