जिस तरह मुंडा जनजाति में बिरसा का धार्मिक आंदोलन हुआ, उसी तरह उरांव जनजाति में ताना भगत नामक धार्मिक आंदोलन शुरू हुआ। माना जाता है कि 1914 में युवा उरांव जनजाति सदस्य जातरा उरांव ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी।
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