8वीं शताब्दी का हरिवंश पुराण कृष्ण, बलराम, पांडवों और कौरवों सहित कई कथाओं का जैन संस्करण प्रस्तुत करता है। वहीं, त्रिषष्टिलक्षण महापुराण में विभिन्न जैन संतों, राजाओं और वीरों की जीवन कथाओं के साथ-साथ स्वप्नों की व्याख्या, जीवन चक्र से जुड़े संस्कार, राजा और योद्धा के कर्तव्य जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई है।
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