सूर्य से विकिरण छोटे तरंगों के रूप में पृथ्वी तक पहुंचता है और पृथ्वी ठंडी होने के कारण ऊर्जा को दीर्घ तरंगों के रूप में छोड़ती है। ये विकिरण वायुमंडल में वापस चले जाते हैं। पृथ्वी की सतह से निकलने वाला यही दीर्घ-तरंग विकिरण वायुमंडल की निचली परतों को गर्म करता है। वायुमंडलीय चालन वायुमंडल और पृथ्वी की सतह के संपर्क क्षेत्र पर होता है, लेकिन यह वायुमंडल को गर्म करने का एक गौण तरीका है क्योंकि यह केवल पृथ्वी की सतह के निकटतम वायु परतों को प्रभावित करता है। इसका कारण यह है कि वायु ऊष्मा की बहुत खराब चालक होती है। जब सतह के पास की वायु गर्म होती है तो उसका आयतन बढ़ता है, घनत्व कम हो जाता है और वह ऊपर उठती है। वायुमंडल में ऊष्मा के इस ऊर्ध्वाधर स्थानांतरण को संवहन कहते हैं। यह वही प्रक्रिया है जिससे पानी गर्म होने पर बर्तन में घूमता है। द्रव या गैस के गर्म होने से उत्पन्न धाराएं संवहन प्रणाली बनाती हैं। वायुमंडल और महासागरों में ऊष्मा का अधिकांश ऊर्ध्वाधर स्थानांतरण संवहन द्वारा होता है और यह बादल बनने तथा वर्षा का प्रमुख कारण है।
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