महात्मा गांधी ने 1905 का स्वदेशी आंदोलन नेतृत्व नहीं किया था। 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन लागू होने पर वहां शोक की लहर छा गई। लोगों ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी अपनाने का निर्णय लिया। सितंबर 1920 में कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक विशेष अधिवेशन बुलाया गया, जहां महात्मा गांधी द्वारा प्रारंभ किए गए क्रमिक अहिंसक असहयोग के सिद्धांत को अपनाया गया। दिसंबर 1920 में नागपुर अधिवेशन में इस प्रस्ताव की पुनः पुष्टि की गई। सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930–1934) प्रसिद्ध दांडी मार्च के साथ शुरू हुआ। 14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें 'भारत छोड़ो प्रस्ताव' पारित किया गया। 8 अगस्त 1942 को बॉम्बे में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने इसमें कुछ संशोधन कर इसे स्वीकार किया।
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