बंगाल में ब्रिटिश चाय और नील के बागान मालिक
वायसराय की परिषद में कानून सदस्य सर काउटन पर्जिन इल्बर्ट ने 1883 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल के दौरान एक विधेयक तैयार किया, जिसे इल्बर्ट बिल के नाम से जाना जाता है। इसमें वरिष्ठ भारतीय मजिस्ट्रेटों को ब्रिटिश नागरिकों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने की अनुमति देने का प्रस्ताव था। बंगाल के ब्रिटिश चाय और नील बागान मालिकों ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया।
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