पारसी समाज सुधारक बहरामजी एम. मलाबारी ने बाल विवाह और "विधवा जीवन की बाध्यता" के खिलाफ जीवनभर संघर्ष किया। उन्होंने 1885 में सेवा सदन की स्थापना एक सामाजिक सुधार और मानवीय संगठन के रूप में की। यह संस्था सभी जातियों की उपेक्षित और शोषित महिलाओं की देखभाल में विशेष रूप से कार्यरत थी और उन्हें शिक्षा, कल्याण और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करती थी।
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