हरिहर-II (1342 – 1404 ई.) संगम वंश के विजयनगर साम्राज्य के सम्राट थे। उन्होंने जैन कवि मधुरा का संरक्षण किया। उनके शासनकाल में वेदों पर एक महत्वपूर्ण ग्रंथ पूरा हुआ। उन्हें "वैदिक मार्ग स्थापनाचार्य" और "वेद मार्ग प्रवर्तक" की उपाधियाँ मिलीं, जो वेदों की परंपरा और अनुष्ठानों के प्रति उनके योगदान और संरक्षण को दर्शाती हैं।
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